ayurvedic in Hindi | आयुर्वेदिक दवाइयां
हेलो दोस्तो ! कैसे है आप सब, आशा करता हु की आप सभी स्वस्थ हो। दोस्तो हमारे जीवन में हमारे स्वास्थ्य को लेकर कई उतार चढ़ाव आते रहते है।आज कल का माहोल ही ऐसा है.
ayurvedic in Hindi
तो आज हम आपके लिए आपके सही स्वास्थ्य के लिए ये आर्टिकल ayurvedic in Hindi लेकर आए है। जिसमे आपके स्वास्थ्य को सुधारने और उसे सही रखने के बारे में विस्तार से बताया गया है।
आयुर्वेदिक ( ayurved ) पौराणिक काल से चलता आ रहा है. आपने रामायण और महाभारत में देखा होगा की जब भी युद्ध में कोई सैनिक या राजा घायल होता था तो उनका इलाज आयुर्वेदिक दवाई ( ayurvedic dawai ) से ही किया जाता था.
आज भी भारत और अन्य कई देशो में भी आयुवेर्दिक ( ayurvedic in Hindi ) का उपयोग किया जाता है। और ये कारगर भी साबित हुआ है।
ayurved (आयुर्वेद) के अनुसार परिवार और परिवार के लोगो के सही और समृद्ध स्वास्थ्य के लिए हमे नियमित आयुर्वेद (aryuved) के नियमो का पालन करना चाहिए।
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आयुर्वेदिक नियम जो कई सालो से लगातार गुणकारी है हमारे लिए। तो चलिए जान लेते है की क्या है आयुर्वेदिक नियम।
आयुर्वेदिक नियम : ( ayurved low ) :
- सुबह जल्दी उठो और कम से कम 1 किलोमीटर तक घूमने जाओ। हो सके तो शाम को भी घूमने जाओ।
- हमे भोजन के साथ पानी बहुत कम पीना चाहिए। जब दोपहर में भोजन करो तो आयुर्वेदिक के अनुसार 1 घंटे बाद पानी पिया करो।
- आयुर्वेदिक में बताया गया है की बैठे बैठे थोड़ी झपकी लेना स्वास्थ्य के लिए सही है।
- दिन में दो बार अपने मुंह और आंखों को ठंडे पानी से धोना चाहिए जिससे आंखों की रोशनी बनी रहे और मुंह पर लगने वाले धूल, धुआं आदि समाप्त हो जाए।
- आयुर्वेदिक (aryuved ) के अनुसार हमे भोजन करने के बाद, नहाने से पहले और रात में सोने से पहले मूत्र त्याग जरूर करना चाहिए।
- आयुर्वेदिक के अनुसार मानव को मूत्र, मल, छींक, वमन, आंसू, प्यास, डकार आदि को उत्पन्न होने के साथ ही हमारे शरीर से बाहर निकाल देना चाहिए।
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आयुर्वेदिक दवा का भी हमारे जीवन में बहुत महत्व है। हमे अन्य दवाइयों की तरह आयुर्वेदिक दवा (ayurvedic dava) हमे किसी चिकित्सक या दवाइयों की दुकान पर से लाने की जरूरत नहीं है। बल्कि आयुर्वेदिक दवा (ayurved dava ) हमे हमारे घर पर ही आसानी से मिल जाती है। जिनके नियमित सेवन से हमारे शरीर के रोग तो दूर होते ही है। आयुर्वेदिक दवा (ayurvedic dava) से हमारा शरीर तदुरस्त रहता है।
तो चलिए जान लेते है की कौनसी आयुर्वेदिक दवा (ayurved dava) है।
आयुवर्दिक दवाई (ayurvedic dawai) :
- नींबू (Lemon ) :
- आयुर्वेदिक दवाई ( ayurvedic dava) में सबसे पहले नाम आता है नींबू का।
- शुद्ध शहद में नींबू का रस मिलाकर नियमित पीने से हमारे शरीर का मोटापा दूर होता है। इससे दमा की शिकायत भी दूर होती है।
- नींबू पर पीसी हुई काली मिर्च छिड़कर उसे जरा सा गर्म कर के चूसने से बुखार और मलेरिया से राहत मिलती है।
- नींबू के बीज को पीस कर सिर पर लगाने से गंजापन दूर होता है।
- नींबू के रस में डाल चीनी मिलाकर कान में डालने से बहरेपन से आजादी मिलती है।
- गाजर के रस में नींबू के रस को मिलाकर पीने से शरीर में रक्त की कमी नही होती है।
- रोजान सुबह नाश्ते से पहले नींबू का रस में एक चमच जैतून का तेल मिलाकर पीने से पथरी से राहत मिलती है।
- गर्म पानी में नींबू का रस मिलाकर पीने से पाचन क्रिया सही रहती है।
- घर का बना घी:
- आयुर्वेदिक दवा (ayurved dava) में घी का भी बहुत बड़ा योगदान रहा है।
- वात और पित जैसे रोगों से छुटकारा दिलाने के लिए घर का बना शुद्ध घी बहुत ही कारगर साबित हुआ है।
- घी से हमारे शरीर को स्वस्थ वसा मिलती है।जिससे लिवर से संबंधित बीमारी सही रहती है।
- घी से रक्त और आंत में जमा केलोस्ट्रोल सही रहता है।
- ग्लूकोमा के रोगियों के लिए घी बहुत ही सही (ayurvedic dava) है।
- घी पेट में जमा एसिड के बहाव को बडा देता है जिससे पाचन क्रिया सही रहती है।
- जले हुए घावों पर घी लगाने से वो सही होते है।
- नियमित घी खाने से यादास्त शक्ति बढ़ती है।
- गोंद :
- आयुर्वेदिक दवाई (ayurvedic dava) में गोंद भी काफी गुणकारी है।
- कीकर और बबूल का गोंद गुणकारी रहता है।
- नीम के गोंद से रक्त की गति बढ़ती है और शरीर को स्फूर्ति मिलती है।
- पलाश के गोंद से शरीर की हड्डियां मजबूत रहती है। साथ ही ये गोंद दूध या आवले के रस के साथ मिलाकर पीने से शरीर में बल आता है और वीर्य में भी वृद्धि होती है।
- आम के गोंद से फोड़े सही होते है।
- आयुर्वेदिक चूर्ण :
- आयुर्वेदिक दवाई (ayurved dava) में चूर्ण का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है।
- अश्वगंधा चूर्ण – चूर्ण को सुबह शाम 5 ग्राम दूध में मिलाकर पीने से वीर्य में वृद्धि, नेत्रों की रोशनी बढ़ना, शरीर की झुरिया दूर होना और शक्ति में बढ़ोतरी आदि में फायदा मिलता है।
- अष्टांग चूर्ण – अगर आपको भूख नहीं लगती है तो रोज खाने से पहले 5 ग्राम चूर्ण खाने से आपको भूख लगने लगती है।
- आमलकी रसायन चूर्ण – सुबह शाम रोज दूध से साथ 3 ग्राम पीने से इंद्रियां सही रहती है।
- एलादि चूर्ण – ये चूर्ण 1–3 ग्राम शहद के साथ खाने से उल्टी होना और हाथ पाव और आंखों में जलन से राहत मिलती है।
- गंगाधर चूर्ण – अगर आपको पतले दस्त की शिकायत है तो चावल के पानी या शहद में 2 ग्राम मिलाकर पीने से राहत मिलती है।
- जातिफलादी चूर्ण – 3 ग्राम शहद के साथ खाने से पेट में मरोड़, अपचन और सर्दी से निजात मिलती है।
आयुर्वेदिक काढ़ा :
आयुर्वेदिक दवाई (ayurvedic dava) में काढ़े का सेवन सर्दियों में हर कोई करता है। इसके काफी फायदे है।
- दशमुल का काढ़ा – सिर व गर्दन का दर्द दूर करने में, कमर का दर्द दूर करने में, मोतीझरा और निमोनिया का बुखार, विषम ज्वार, प्रसूति ज्वार, बेहोशी आदि से ये काढ़ा पीने से राहत मिलती है।
- महामंजीष्ठादी काढ़ा – खाज खुजली, चरम रोग, फोड़े फुंसी, रक्त विकार आदि से निजात मिलती है।
- महासुदर्शन काढ़ा– किसी भी प्रकार की बुखार, मलेरिया बुखार को सही करता है। भूख और पाचन शक्ति को बढ़ाता है तथा स्वास और खांसी जैसे रोगों के लिए गुणकारी है।
- अजवायन – पेट और आंतो के रोगी के लिए अजवायन बहुत ही करगारी है। बदहजमी और उल्टी में भी पानी के साथ अजवायन खाने से राहत मिलती है।
- सौंफ – ayurvedic dawai में सौंफ का भी बड़ा महत्व है। सौंफ भूख बढ़ता है और पेचिस में लाभकारी है।सौंफ प्यास और अफरा में सही है।
- खमीरा गावजवा– ये काढ़ा हमारे दिल और दिमाग को ताकत प्रदान करता है। शरीर में घबराहट और चित की परेशानियों से दूर करता है।
- खमीरा संदल – आयुर्वेदिक (ayurvedic dawai) में इस काढ़े का महत्व अधिक है। ये काढ़ा हमारे शरीर की अंदरूनी गर्मी को दूर करता है। अधिक प्यास लगने की समस्या को दूर करता है। दिल और दिमाग को ताकत देता है। दिल की धड़कन को नियंत्रण में रखता है। घबराहट, जलन और गर्मी से जी मचलने और मूत्र दाह में लाभकारी है।
- माजून मुलेयान – अगर बार बार दस्त की शिकायत है तो ये काढ़ा हाजमा सही करके साफ दस्त करवाता है जिससे निजात मिलती है।
- सिरका गन्ना– स्वास रोगी, ज्वार और वात रोगियों को लेना चाहिए।
- सिरका जामुन– ये काढ़ा लिवर के लिए कारगरी है। इस काढ़े से भूख लगती है, खाना पचता है और पेशाब लगता है। Ayurvedic dawai में तिल्ली वर्म को दूर करने की बहुत ही प्रसिद्ध दवाई है।
आयुर्वेदिक (ayurved) में फलों और सब्जियों के छिलके भी काफी गुणकारी होते है। अक्सर लोग इन्हें कचरा समझ कर बाहर फेंक देते है। लेकिन आयुर्वेद ( ayurved) में इनके बहुत गए है तो जानते है छिलके के फायदे क्या है।
छिलके भी है गुणकारी :
हमारे घरों में कोनो और अलमारियों के कोनो में कई तरह के कीड़े, झींगुर आदि रहते है। जो घर की सफाई करते समय बाहर नहीं आते है।नींबू और संतरे के छिलके को सुखाकर इन्हे कोनो में रखने से ये कीड़े बाहर आ जाते है।
इन सूखे छिलकों को जलाने से मच्छर मर जाते है। इन जले हुए छिलकों की राख से दांत साफ किया जाए तो मुंह से दुर्गंध दूर होती है।
नींबू के छिलके को मुंह पर रगड़ने से मुंह साफ रहता है।
नींबू के छिलके को नाखून और कोहनी पर रगड़ने से कालापन दूर होता है।
संतरे के छिलके को छाया में सुखाकर पीसकर उबटन बनाया जाता है जिससे शरीर का सौंदर्य बढ़ता है। और मुंह के दाग हट जाते है।
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- केसर– चंदन और केसर को एक साथ घिसकर इसका लेप बना कर माथे pr लगाने से सिर , आंख और मस्तिष्क को ठंडक मिलती है।
- अगर शिशु को सर्दी हो गई हो तो केसर की 1–2 पंखुड़ी को दूध में अच्छी तरह से घोंट कर इसे दूध के साथ पिलाने से सर्दी में राहत मिलती है।
- हल्दी– आयुर्वेदिक (ayurvedic dawai) में हल्दी का सबसे अहम स्थान है।
- पेट कीड़े होने की दशा में रोज सुबह शाम एक चमच हल्दी को गर्म पानी में मिला कर पीना चाहिए।
- हल्दी चेहरे के लिए भी गुणकारी है।
- खांसी होने पर हल्दी की छोटे टुकड़े को मुंह में रखने से खांसी नही आती है।
- हल्दी और नारियल तेल को मिलाकर शरीर पर लगाने से शरीर से अनचाहे बाल धीरे धीरे कम हो जाते है।
- गर्मियों में हल्दी पावडर ,बादाम पावडर को दही में मिलाकर त्वचा पर लगाने से ये सनस्क्रीन का काम करता है।
- लीची – लीची में केल्शियम, फास्फोरस, मैग्नीशियम आदि होते हैं। जो शरीर के विकास के लिए महत्वपूर्ण होते हैं।
- इसमें विटामिन C पाया जाता है। हमारी त्वचा और शरीर के इम्यून सिस्टम को स्वस्थ रखता है।
- लीची खाने से शरीर का रक्त स्वस्थ रहता है।
- लीची में ब्रेस्ट कैंसर को रोकने के महत्वपूर्ण गुण पाए जाते है।
- लीची में फाइबर अच्छी मात्रा में होते हैं।
- लीची में एंटीऑक्सीडेंट अधिक मात्रा में होते हैं।
- लीची खाने से ब्लड प्रेशर ठीक रहता है।
- तुलसी – आयुर्वेद (ayurved dava) में तुलसी काफी गुणकारी है। तुलसी के पिसे हुए बीज 5 ग्राम रोजाना रात को गर्म दूध के साथ लेने से शीघ्र पतन एवं वीर्य की कमी दूर होती है।
- इससे यौन शक्ति बढ़ती है।
- महिलाओं में मासिक धर्म में जब से मासिक धर्म शुरू हो तथा जब तक मासिक धर्म रहे तब तक तुलसी के बीज 5 ग्राम सुबह शाम पानी या दूध के साथ लेने से मासिक धर्म की समस्या दूर होती है।
- सरसो का तेल– आयुर्वेद में सरसों भारतीय रसोई का एक अहम हिस्सा है। सरसों की पत्तियां भी बहुत फायदेमंद है। इस तेल को मालिश के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है।
- सरसो के तेल से मालिश करने से रक्त-संचार बढ़ता है। मांसपेशियां विकसित और मजबूत होती है।बच्चों को भी सरसों के उबटन की मालिश की जाती है।
- सरसों का तेल शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता है।
- सरसों के तेल में विटामिन ई होता है। इसे त्वचा पर लगाने से सूर्य की किरणों से बचाव होता है।
- सरसों के तेल से मालिश करने से गठिया और जोड़ो का दर्द में भी राहत मिलती है।
- शक्करगंद – आयुर्वेद (ayurvedic dawai) में शकरकंदी का भी बड़ा योगदान है। ये आमतौर पर सर्दियों में लगती है।
- शकरकंदी में विटामिन बी, फास्फोसरस, विटामिन सी, के साथ बीटा कैरोटीन अधिक मात्रा में पाया जाता है।
- शकरकंदी शरीर को गर्म भी रखती है और इसमें मौजूद विटामिन सी के सेवन से अस्थमा और फेफड़ों की परेशानी में राहत मिलती है।
- शकरकंदी में फाइबर अधिक मात्रा में होता है इससे पाचन तंत्र ठीक रहता है।
- आंत के कैंसर के लिए शकरकंदी काफी गुण कारी साबित हुई है।
- आयुर्वेदिक (ayurved) में बताया गया है की शकरकंदी ह्रदय के स्वास्थ्य के लिए काफी गुणकारी है।
- आंवला– आयुर्वेदिक (ayurved) में आंवला भी गुणकारी है।
- आंवले के रस में मिश्री मिलाकर पीने से हिचकी और उल्टी में आराम मिलता है। इसलिए जब भी आपको उल्टी की शिकायत हो तो आवले का रस जरूर इस्तेमाल करे इससे आपको राहत मिलेगी।
इनके अलावा और भी बहुत कुछ है जो आयुर्वेदिक ( ayurvedic dawai ) में शामिल है। लेकिन जो हमारे रोजमरा जीवन में उपयोगी है। उनके बारे में हम विस्तार से बात कर चुके है।
इन आयुर्वेद दवाई के इस्तेमाल से आप अपने शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ा सकते है।
ये आयुर्वेदिक (ayurved dava) कई सालो से लोग इनपर विश्वास कर रहे है और हमें करते रहेंगे।
ayurvedic in hindi
आज हमने आयुवेर्दिक ( ayurved ) के बारे में ayurvedic in hindi और आयुवेर्दिक दवा ( ayurvedic dawai ) के बारे में थोड़ी चर्चा की। क्युकी आप सब जानते है की आयुवेर्दिक ( ayurved ) बहुत ही लम्बा चौड़ा है ।
आयुर्वेद ( ayurved dava ) का पूरी जानकारी एक आर्टिकल में देना नामुमकिन है । इसलिए हम बाकि की चर्चा अगले पोस्ट में करेंगे ।
हम आशा करते है की आपको जो भी आयुर्वेद ( ayurved ) के बारे में जानना चाहते थे उसके जानकारी आपको मिल गयी है ।
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